हमको क़तरा कहकर हँसना ठीक नहीं
यार समंदर हम भी पानी वाले हैं
Category: दर्द शायरी
हम नही मानते
हम नही मानते कागज़ पे लिखे सज्र-ओ-नसब,
गुफ़्तगू बता देती है कौन खानदानी है..
तुम्हारी प्यारी सी नज़र
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती,
नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती,
तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है,
फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती..
आओ बैठो करीब मेरे
आओ बैठो करीब मेरे कुछ तो बात करो,मैं हूँ ख़ामोश गर तो तुम ही शुरुआत करो…
बगैर आवाज़ के..
कितना भी सम्भाल के रख लो दिल को फिर भी,
टूट ही जाता है और वो भी बगैर आवाज़ के..
एक युग था
एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब…
अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..
गाँव में जो छोड़ आए
गाँव में जो छोड़ आए हजारों गज की हवेली,
शहर के दो कमरे के घर को तरक्की समझने लगे हैं।
जरुरी नहीं की
जरुरी नहीं की काम से ही इंसान थक जाए
फ़िक्र…धोके.. फरेब भी थका देते है इंसान को… जिंदगी में मेरे दोस्त ..
परछाई बनने मे नही है..!!
जो आनंद अपनी
छोटी पहचान बनाने मे है,
वो किसी बड़े की
परछाई बनने मे नही है..!!
बेहिसाब हसरतें न पालिये
बेहिसाब हसरतें न पालिये.
जो मिला है उसे संभालिये..!