मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
Category: दर्द शायरी
दीवार पर लिख गये..
बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..
एक मुद्दत से
एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!
शिकवा तो बहुत है
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की…
शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं
शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी, कि मुहब्बत सामने थी, और तुम दुनिया में उलझी रही…
धीरे धीरे बहुत
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है… लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी…
मत दो मुझे खैरात
मत दो मुझे खैरात उजालों की…… अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..
हजारो अश्क मेरे
हजारो अश्क मेरे आँखो की हिरासत में थे फिर तेरी याद आई और उन्हें जमानत मिल गई|
मांग इतना खून मेरे
मांग इतना खून मेरे ज़ख़्मी ‘दिल से, की बूँद भी न रहे तेरे सिंदूर के लिए..!!
इश्क़ का ग़म
इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता, या दिल न दिया होता|