मिटटी महबूबा सी नजर आती है
गले लगाता हूँ तो महक जाती है ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मिटटी महबूबा सी नजर आती है
गले लगाता हूँ तो महक जाती है ।।
मैं कड़ी धूप में
चलता हूँ इस यकींन के साथ
मैं जलूँगा तो
मेरे घर में उजाले होंगे !
वो मोहब्बत थी इसलिए ही जाने दिया…अगर जिद होती तो अब तक बांहो में होती…
मुझे कहीं लिखकर रख लो जनाब…
आपकी याददास्त से भुलाता जा रहा हूँ मैं|
हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है,
तो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए।
सफ़र ख़त्म कर देंगे हम तो वहीं पर,
जहाँ तक तुम्हारे क़दम ले चलेंगे !!
लोगो ने कुछ दिया तो सुनाया भी बहुत कुछ…
ऐ खुदा
एक तेरा ही दर है जहा कभी ताना नहीं मिला..
चिंगारियाँ न डाल मिरे दिल के घाव में
मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ ग़मों के अलाव में |
खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है..
इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे
मैं खुद से कितना दूर हो गया
जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी
सब सहने को मजबूर हो गया
इस प्यार ने जीवन में मुझको
हरदम इतना तड़पाया है
जब चाह हुई है हँसने की
आँखों से पानी आया है.