मैं आज़ाद हूँ
बस उस लम्हे तक
जब तक तुम्हारा ख़्याल न आये….
Category: दर्द शायरी
लौट आया हूँ
लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … !
.तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…
शब्द तो सारे के सारे
शब्द तो सारे के सारे सुरक्षित हैं …
बस भावनाओं का वाष्पीकरण हो गया है
तुम्हारे खतो से…
आसमान से जो
आसमान से जो फ़रिश्ते उतारे जाये
वो भी इस दौर में सच बोले तो मरे जाये|
एक तुम्हारे होने से
एक तुम्हारे होने से कितनी,
ख्वाइशें सजा लीं है मैंने…….!!
कि मेरी दस्तक पे,
घर का दरवाजा तुम खोलो…!!
लौट आओ ना…
लौट आओ ना…
और आकर सिर्फ
इतना कह दो…
मैं भटक गई थी,
थी भी तुम्हारी और
हूँ भी तुम्हारी ही…।
तुम थक तो नहीं जाओगे
तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तजार में तब तक .?
मैं मांग के आऊं खुदा से तुमको जब तक ..
मत पूछ इस जिंदगी में
मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से हीं बेखबर देखा।
हसरतें थीं जीने वाली
हसरतें थीं जीने वाली, जी गईं;
मरने वाला था दिल अपना, मर गया!
माना कि मोहब्बत
माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे…
पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।