तुम अगर चाहो तो पूछ लिया करो खैरियत हमारी..
कुछ हक़ दिए नही जाते ले लिए जाते है …
Category: दर्द शायरी
ग़ज़ल में इश्क़ की बूंदे
ग़ज़ल में इश्क़ की बूंदे ?
दूर रखो तेज़ाब सी लगती है ।
गली से गुज़रने का
गली से गुज़रने का एक वक़्त मुक़र्रर कर लो,
दीवार से खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगते है!!
काश़ पढ़ लेता कोई
काश़ पढ़ लेता कोई मुझ अधूरे को
आधी लिखावट में दर्द पूरे को…!
इन कागज़ के टुकड़ों से
इन कागज़ के टुकड़ों से नहीं छुपती हकीकत उनकी,
चेहरे की चमक बयां करती है उनकी रूह की तासीर क्या है…।।
सँवारती है सदा
सँवारती है सदा जिस की चाहत मुझको
मेरी दुआ है की मैं उसकी हसरतों में रहूँ…
मशरूफ रहने का
मशरूफ रहने का अंदाज़
तुम्हें तनहा ना कर दे ग़ालिब,
रिश्ते फुर्सत के नहीं
तवज्जो के मोहताज़ होते हैं…।
तुम नही समझोगे
तुम नही समझोगे हाल ए दिल मेरा….
ये रो रहा है लबों को हँसाने की कोशिश में!!
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो…..
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल….
जहाँ उसके सिवा कोई ना हो….
हम आह भी करते हैं
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नही होता …!!!