बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ,
अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो,
जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
मिसाल-ए-आतिश है ये रोग-ए-मुहब्बत …
रौशन तो खूब करता है …
मगर “जला जला” कर … !!
एक आँसू कोरे काग़ज़ पर गिरा
और, अधूरा ख़त मुक्कमल हो गया !!!
अंजान अगर हो तो गुज़र क्यों नहीं जाते…
पहचान रहे हो तो ठहर क्यों नहीं जाते
बस मुस्करा दो, तबियत ख़ुश हो जाती है मेरी;
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम तुम सा नहीं|
मत कर हिसाब तू मेरी मोहब्बत का.
वरना..
ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जाएगी.
गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है…ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…
खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में….
निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें|
दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|