ख्वाहिश ये बेशक नही

ख्वाहिश ये बेशक नही
कि
“तारीफ” हर कोई करे…!

मगर
“कोशिश” ये जरूर है
कि कोई बुरा ना कहे..”

संभाल के खर्च करता हूँ खुद को दिनभर …
हर शाम एक आईना मेरा हिसाब करता है ..

काश आ जाता कोई

काश आ जाता कोई

पूछने वाला की क्या चाहिए?
पैसे,प्रमोशन,ग्लैमर,
सबको छोड़ सिर्फ बचपन वापस मांग लेता

मैं..!!!