क्युं….उसको मनाने की मिन्नतें करू मै..
मुझे उस से मोहब्बत है….कोई मतलब तो नही..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्युं….उसको मनाने की मिन्नतें करू मै..
मुझे उस से मोहब्बत है….कोई मतलब तो नही..!!
सीखा जाता है हर हुनर, किसी ना किसी उस्ताद से,
मगर जिंदगी के सबक जमाने की ठोकरें देती हैं।
कुछ ऐसे हादसे भी जिंदगी में होते है….
ऐ दोस्त..
इंसान बच तो जाता है पर जिंदा नहीं रहता…..।।।।
मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से .
संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से
कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है,
मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है……..
वो आये या ना आये,
उसकी मर्ज़ी है दोस्त,
उन राहों को मगर आज़ सज़ा कर देखते हैं.
जितने भी जख्म थे सबको सहलाने आये है,
वो माशुक खंजर के सहारे मरहम लगाने आये हैं………..
Khoye Huwe Ansuo Se Mohbat Mujhe bhi Hai,
Teri Tarah Zindgi Se Sikayat Mujhe bhi Hai,
Tu Agr Nazuk Hai to Pathar Main Bhi Nahi,
Tanhai Me Rone Ki Aadat Mujhe bhi Hai.
मुझे देख के न मुस्कुरा
ज़रा मुस्कुरा के देख ले
अच्छी किताबें
और सच्चे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते