जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना,
कमबख्त ये ज़िंदगी, भरोसे के काबिल नहीं होती…
Category: दर्द शायरी
कहा रहते हो
मुद्दतों बात किसीने पूछा कहा रहते हो
हमने मुस्कुरा के कहा अपनी औकात में
जब बरसी ख़ुशियाँ
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,,,!!!..
ऐ umar !!!
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी.!!!
ज़िन्दगी तो अपने
ज़िन्दगी तो अपने ही दम पे जी जाती है
यारों किसी के सहारे से तो जनाज़े उठा करते हैं
कुछ सालों बाद
कुछ सालों बाद ना जाने क्या होगा,
ना जाने कौन दोस्त कहाँ होगा…
फिर मिलना हुआ तो मिलेगे यादों में,
जैसे सूखे हुए गुलाब मिले किताबों में.
मोहब्बत के ज़ख़्म
किसी भी मौसम में आकर खरीद लीजिये जनाब,
मोहब्बत के ज़ख़्म यहाँ हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे…
यहाँ तो दिल
कौन कम्बख्त मोबाईल की परवा करता है?
यहाँ तो दिल हैंग हो गया है…
ना वो मिलती
ना वो मिलती है ना में रुकता हु..
पता नहीं रास्ता गलत है या मंजिल
हक मिलता नही
हक मिलता नही लिया जाता है ,
आज़ादी मिलती नही छिनी जाती है ,
नमन उन देश प्रेमियों को जो
देश की आज़ादी की जंग के लिये जाने जाते है .
दांव पर जिंदगी
मत लगाओ दांव पर जिंदगी को इस खेल में…
इस मुहब्बत में जीत की कोई गुंजाईश नही होती.!!