कुछ सालों बाद

कुछ सालों बाद ना जाने क्या होगा,
ना जाने कौन दोस्त कहाँ होगा…
फिर मिलना हुआ तो मिलेगे यादों में,
जैसे सूखे हुए गुलाब मिले किताबों में.

हक मिलता नही

हक मिलता नही लिया जाता है ,

आज़ादी मिलती नही छिनी जाती है ,

नमन उन देश प्रेमियों को जो

देश की आज़ादी की जंग के लिये जाने जाते है .