दावे वो कर रहे थे हमसे बड़े बड़े छोटी सी इल्तिजा की तो अँगूठा दिखा दिया…
Category: दर्द शायरी
मैं अपनी इबादत
मैं अपनी इबादत खुद ही कर लूँ तो क्या बुरा है..? किसी फकीर से सुना था मुझमें भी खुदा रहता है…!
कुछ कहता रहूँ
मैं कितना भी कुछ कहता रहूँ , पर हर बात तुम्हारी अच्छी हैं !
चेहरा देख कर
चेहरा देख कर तू मेरा हैसियत का पता मत लगा, “माँ” आज मुझे “मेरा राजा बेटा” कहकर बुलाती है|
तू जहाँ तक कहे
तू जहाँ तक कहे उम्मीद वहाँ तक रक्खूँ, पर, हवाओं पे घरौंदे मैं कहाँ तक रक्खूँ । दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है, फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रक्खूँ ।
तालुकात बढ़ाने है
तालुकात बढ़ाने है तो कुछ आदते बुरी भी सिख लो… ऐब न हो.. तो लोग महफ़िलो में नहीं बुलाते..।
सारे रास्ते सीधे हैं
दुनिया के सारे रास्ते सीधे हैं मुश्किल तो उन्हें होती है जिनकी चाल ही तिरछी है |
हमारी बेरुखी की देन है
हमारी बेरुखी की देन है बाज़ार की ज़ीनत अगर हम में वफा होती तो यह कोठा नहीं होता |
यहाँ हर नज़र में
यहाँ हर नज़र में मुमकिन नहीं बेगुनाह रहना,,,,, बस मैं कोशिश करता हूँ खुद की नज़रो में बेदाग रहूँ…!!
सब आते है
सब आते है खैरियत पूछने तुम आ जाओ तो ये नौबत ही न आए ..!!