ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर,
पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर,
पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर..
ये हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं
हर तकलीफ को ताक़त बना देते हैं….
सोचा की दाग इश्क़ का अब धो ही लें जरा..
लौटे जलील और हम बदरंग हो गए…
चाँद अगर पूरा चमके, तो उसके दाग खटकते हैं,
एक न एक बुराई तय है सारे इज़्ज़तदारों में |
क़लम के कीड़े हैं, हम जब भी मचलते हैं
खुरदुरे काग़ज़ पे रेशमी ख्वाब बुनते हैं |
मतलब पड़ा तो सारे अनुबन्ध हो गए….
नेवलों के भी साँपो से सम्बन्ध हो गए…
मन को छूकर लौट जाऊँगी किसी दिन…
तुम हवा से पूछते रह जाओगे मेरा पता !!…..
अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार,
घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार..
सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं..
मगर ये कब कहा हमने के हमें प्यास नही..
इश्क करना है किसी से तो, बेहद कीजिए,
हदें तो सरहदों की होती है, दिलों की नही..!