गुलामी ख्वाहिशो की है और मज़बूरी जरूरतों की.. वर्ना खुश मिजाज़ होना भला किसे खलता है..
Category: दर्द शायरी
ठंडी कर देती है
उसकी यादें अक्सर मेरी चाय ठंडी कर देती है !
कुछ लोग कह रहे हैं
कुछ लोग कह रहे हैं मैं मग़रूर हो गया सच तो है मैं ज़माने में मशहूर हो गया|
तू आसमाँ से
तू आसमाँ से कोई बादलों की छत ले आ बरहना शाख़ पे क्या आशियाँ बनाता है|
तुम से कौन कहेगा
तुम से कौन कहेगा आकर ? कितनी रात ढलीं बिन चँदा , कितने दिन बिन सूरज बीते , कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे , भरी आखँ में सपने रीते , कौन पिये और कैसे खाए , मन को जब जोगी भा जाए , तुम को कौन सिखाये भा कर ? तुम से कौन कहेगा आकर….? उन… Continue reading तुम से कौन कहेगा
मैं मिट जाउंगा
मैं मिट जाउंगा तो याद करोगे , फिर शिकायतें किससे बार बार करोगे…
रहते थे कभी
रहते थे कभी जिनके दिल में, हम जान से भी प्यारों की तरह बैठे हैं उन्हीं के कूंचे में हम, आज गुनहगारों की तरह|
इश्क ने पैगाम भेजा है
इश्क ने पैगाम भेजा है जनाब, कोई है जो रह गया हो बर्बाद होने से..
कीमत तो खूब बड़ गई
कीमत तो खूब बड़ गई शहरों मे धान की.. बेटी विदा न हो सकी फिर भी किसान की..
दर्द हो दिल में
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे|