दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब..
लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब..
लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का…
जुड़ना सरल है…
पर जुड़े रहना कठिन….
आज इत्ती ज़ोर से हिचकी आ रही है,
जैसे कोई जान से मारने
के लिए याद कर रहा हो..
अनजाने शहर में अपने मिलते है कहाँ
डाली से गिरकर फूल फिर खिलते है कहाँ . . .
आसमान को छूने को रोज जो निकला करे
पिँजरे में कैद पंछी फिर उड़ते है कहाँ . . .
दर्द मिलता है अक्सर अपनो से बिछड़कर
टूट कर आईने भला फिर जुड़ते है कहाँ . . . .
ले जाते है रास्ते जिंदगी के दूर बहुत
मील के पत्थर जमे फिर हिलते है कहाँ . . .
दिल कहाँ कह पाता है औरों को अपनी भला
जख्म हुए गहरे गर फिर भरते है कहाँ . . . .
ले चल खुदा फिर मुझे मेरे शहर की ओर
जीने के अवसर भला फिर मिलते है कहाँ . .
आदत पड गयी है सभी को
प्यार अब हर किसी
को कहां होता है ??
अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता..
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!
बेनाम आरजू की
वजह ना पूछिये,
कोई अजनबी था,
रूह का दर्द बन गया…!
वो पगली समझती है के उसने मेरा दिल तोड़ दिया
वो नहीं जानती वही दर्द बयां करके
हमने यहाँ लाखो का दिलजीत लिया |
कहने को कुछ नहीं …
आह भी चुप सी
घुट रही है सीने में !!