कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में;
वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये!
Category: दर्द शायरी
देखे जो बुरे दिन
देखे जो बुरे दिन तो ये बात समझ आई,
इस दौर में यारों का औकात से रिश्ता है।
मेरी बेफिक्र अदा से
मेरी बेफिक्र अदा से लोगों में गलतफहमी बेहिसाब है,
उन्हें क्या मालूम, मेरा वजूद फिक्र पर लिखी गई इक किताब है…!
हमारी महोबत ऐसी है…
हमारी महोबत ऐसी है…..
आपके ना होते हुऐ भी आपसे ही रहेगी…
नाराज क्यों होते हो
नाराज क्यों होते हो चले जायेंगे तुम्हारी जिन्दगी से बहुत दूर……
जरा टूटे हुए दिल के टुकङे तो उठा लेने दो….!!
इश्क क्या जिंदगी देगा
इश्क क्या जिंदगी देगा किसी को दोस्तों
ये तो शुरू ही किसी पर मरने से होता है…!!
उसकी आँखों में
उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को…..
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा..
इस दुनिया के
इस दुनिया के सभी लोग आपके लिये बहोत अच्छे है,
बस शर्त इतनी सी है की आपके दिन अच्छे होने चाहिये !!
सुकून की कमी
जब तुम्हे सुकून की कमी महसूस हो तो अपने रब से तौबा किया करो…….. क्योकि इंसान के गुनाह ही है जो उसे बैचैन रखते है
ग़ुलाम हूँ अपने घर की
ग़ुलाम हूँ अपने घर की तहज़ीब का
वरना लोगों को औकात दिखाने का हूनर भी रखता हूँ|