कौन समझ पाया हे आज तक हमे….????
हम अपने हादशो के इकलौते गवाह है.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कौन समझ पाया हे आज तक हमे….????
हम अपने हादशो के इकलौते गवाह है.!!
जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी,
एक कंधा तो तेरे वादों का भी होना चाहिए !!
भिगों कर रख दिया
तुम्हारी यादों ने इतना,
कि बारिश में भीगने का
अब मन नहीं करता…
अपनी मोहब्बत को खोकर भी जो संभल जाते है,
बहोत मजबूत हो जाते है वो लोग जिन्दगी में !!
मुझसे मोहब्बत में सलाह मांगते है लोग…
तेरा इश्क़ मुझे ये तजुर्बा दे गया…
ख़्वाबों की पुट्टी से ख्वाहिशों की दीवार संवारता हूँ
रोज़ ही ज़रुरतें सीलन बनकर उधेड़ देतीं हैं उन्हें|
अजीब सा जहर है तेरी यादों मै
मरते मरते मुझे सारी ज़िन्दगी लगेगी..!!
अगर ज़िंदगी मे कुछ पाना हो तो,अपने तरीके बदलो इरादे नही।
ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में ,,,
बस बटुए थोड़े भारी
और रिश्ते थोड़े हलके हो गए हैं।
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते है…
की…….जिनके पंख लग जाते है वो कुछ ही दिनों के मेहमान होते है ।!