पूछ रही है

पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि,
कहा उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे ?

गुलाब खिलते रहे

गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में,
हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में.
खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको,
देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको…

किसी सूरत से

किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये

इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना

मुड़ के देखा तो

मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा

दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|