ख्वाईश की बात ना कर ,तेरे
साँसों में शामिल हूँ …!!
यकीं ना हो ,धडकनों से पूछ ,तेरे रग रग
में शामिल हूँ|
Category: दर्द शायरी
हाथ बेशक छूट गया
हाथ बेशक छूट गया,
लेकिन
वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया|
तुझको देखा तो
तुझको देखा तो फिर किसीको नहीं देखा।
चाँद कहता रहा ..मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ ।
ज़िद्द से केवल
ज़िद्द से केवल फ़ासले बढ़ते हैं,
और ख़ामोशी से नज़दीकियाँ|
तेरी मोहब्बत की
तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिए
वरना हमने तो कभी अपनी ज़िंदगी की दुआ भी नही माँगी।
शोक नही है
शोक नही है मुझे जज्बातों को यूँ सरेआम लिखने का मग़र क्या करूँ जरिया बस यही है अब तुझसे बात करने का|
मिलने की अजीब शर्त
उसने मिलने की अजीब शर्त रखी…
.
गालिब चल के आओ सूखे पत्तों पे,
लेकिन कोई आहट न हो!
फितरत परिंदों सी थी
उनकी फितरत परिंदों सी थी,मेरा मिज़ाज दरख़्तों जैसा,
उन्हें उड़ जाना था…..और मुझे कायम ही रहना था !!
कयामत के फरिश्तों ने
कयामत के फरिश्तों ने माँगा जब जिंदगी का हिसाब
.
खुदा, खुद मुस्कुरा के बोले, जाने दो इसे मोहब्बत की है इसने
पहले तो यूं ही
पहले तो यूं ही गुज़र जाती थी,
मोहब्बत हुई तो रातों का एहसास हुआ !