अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें,
आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का .
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें,
आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का .
कभी तो सोच कि वो श़ख्स कितना था बुलंद,जो बिछ गया तेरे कदमों मे आसमान की तरह…
यदि सफलता एक सुन्दर पुष्प है तो विनम्रता उसकी सुगन्ध।
जिंदगी में जो चाहो हासिल कर लो, बस इतना ख्याल रखना कि, आपकी मंजिल का रास्ता, लोगो के दिलों को तोड़ता हुआ न गुजरे
“अच्छी सोच”
“अच्छा विचार”
“अच्छी भावना”
मन को हल्का करता है!
हमी से सीखी है
वफ़ा-ऐ-मोहब्बत उसने,
जिससे भी करेगा… कमाल करेगा ।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं
तुम मीरा के जेसे बुलाते नहीं
ना मिला सुकून तो खतम ज़िन्दगी कर ली,
नदी ने जाकर समंदर में खुदखुशी कर ली…!!!
सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना…
कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते..!!
हो सके तो अब के कोई सौदा न करना,
मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ………
छुप के आता है कोई हर रात मेरे ख्वाब सजाने,
फूल हर सुबह महकते है सिरहाने मेरे …
हमारे अलावा किसी और को अपना इश्क़ बना कर देख लो…
आपकी हर धड़कन कहेगी उनकी वफ़ा मैं कुछ और बात थी…!!