कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का,
सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….
जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले…
समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!
तुम वादा करो आखरी दीदार करने आओगे, हम मौत को भी इंतजार करवाएँगे तेरी ख़ातिर,
इश्क़ का क्या हुआ है, असर देखें;
आप ही आप हैं, अब जिधर देखें!
अजीब रंगो में गुजरी है मेरी जिंदगी। दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए।
निकली थी बिना नकाब आज वो घर से मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया|
मुस्कुराना सीखना पड़ता है …!रोना तो पैदा होते ही विरासत में मिल गया था….
वो मंजर भी मोहब्बत का बडा दिलकश गुजरा,
किसी ने हाल पुछा और आँखें भर आई !!
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|