चंद सिक्को की मजबूरी ही है जो खुद के बच्चो को भूखा छोड़ के एक माँ….
अपनी मालकिन के बच्चों को रोज खिलाने जाती है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चंद सिक्को की मजबूरी ही है जो खुद के बच्चो को भूखा छोड़ के एक माँ….
अपनी मालकिन के बच्चों को रोज खिलाने जाती है|
मौका दीजिये अपने खून को किसी की रगों में बहने का..
ये लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में ज़िंदा रहने का.!!
हमारे अलावा किसी और को अपना इश्क़ बना कर देख लो…
आपकी हर धड़कन कहेगी उनकी वफ़ा मे कुछ और बात थी…!!
मैं ही थाम लु ही थाम लु हाथ उनका बस इतनी इबादत देदो
वो न रह सके एक पल भी मेरे सिवा
खुदा तु उनको ये मेरी आदत दे दो
झूठ बोलते है वो लोग जो कहते हैं, हम सब मिटटी से
बने हैं…!!
मैं एक शख्स से वाकिफ हूँ, जो पत्थर का बना हैं….!!
सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना…
कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते..!
आज किसी ने ये बात कहके दिल तोड़ दिया
के लोग तेरे नहीं तेरी शायरी के दिवाने है
वक़्त लगा था..पर संभल गया…
क्यों कि….
मैं ठोकरों से गिरा था किसी की नज़रों से नहीं…!!
छोड़ ये बात मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको..!!
ज़िन्दगी इतना बता कितना सफर बाक़ी है..!
इस दिल को तुम ही रख लो..बड़ी फिकर रहती है इसे तुम्हारी