जब नहीं तुझको यक़ीं तो अपना समझता क्यूँ है,
रिश्ता रखता है तो फिर रोज़ परखता क्यूँ है !!
Category: गुस्ताखियां शायरी
उस दुकान का पता
दो जहाँ लिखा हो,
साहिब
टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श किया जाता हैं..
जुस्तुजू आज भी
पा सकेंगे न उम्र भर जिस को,
जुस्तुजू आज भी उसी की है…
मत जियो उसके लिए
मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो |
जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये|
लगता है आज
लगता है आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है,
चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफ़ा है..
झूठ बोलते थे
झूठ बोलते थे कितना, फिर भी सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है, जब बच्चे थे हम !!
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले…!!!
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले..
सबके कर्ज़े चुका दूँ
सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत है;
मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है।
बेताब हम भी है..
बेताब हम भी है.. दर्द -ए -जुदाई की कसम,
रोती वो भी होगी.. नज़रें चुरा चुरा के !
गम ऐ बेगुनाही के मारे है
गम ऐ बेगुनाही के मारे है,, हमे ना छेडो..
ज़बान खुलेगी तो,,
लफ़्ज़ों से लहू टपकेगा.