ख़ौफ़ तो कुत्ते भी
फैला सकते है……….. पर दहशत
हमेशा शेरो की रहती है ……..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख़ौफ़ तो कुत्ते भी
फैला सकते है……….. पर दहशत
हमेशा शेरो की रहती है ……..
कहाँ छुपा के रख दूँ मैं
अपने हिस्से की शराफत !
जिधर भी देखता हूँ !! उधर बेईमान खड़े हैं !
अभी तो तड़प-तड़प के
दिन के उजालों से निकला हू…
.
न जाने रात के अँधेरे और कितना रुलायेंगे.
फिर कोई जख्म मिलेगा ए नादान दिल,
फिर कोई इंसान प्यार से पेश आ रहा है…
मेरा मजहब तो,
ये दो हथेलियाँ बताती हैं
जुड़े तो पूजा,
खुले तो दुआ कहाती हैं..!!!
मैं वक़्त बन जाऊ, तू बन जाना कोई लम्हा,
मैं तुझमे गुज़र जाऊं, तू मुझमें गुज़र जाना…
लौटा देती ज़िन्दगी एक दिन नाराज़ होकर ,,,,
काश मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होता।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!!
पर चुप इसलिये हु कि, जो
दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
इतना संस्कारिक कलयुग आ गया है कि
लड़की कि विदाई के वक्त..
माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते है
जरा सी बात देर तक रुलाती रही, खुशी में भी आँखे आँसू बहाती रही, कोइ मिल के खो गया तो कोइ खो के मिल गया, जिन्दगी हमको बस ऐसे ही आजमाती रही|