फूलो से क्या

फूलो से क्या दोस्ती करते हो,
फूल तो मुरझा जाते है.
अगर दोस्ती करनी है तो कॅंटो से करो,
क्यूकी वो चुभ कर भी याद आते

रिश्तो की रस्सी

रिश्तो की रस्सी कमजोर तब हो जाती है जब इन्सान “गलत फहमी”मे पैदा होने वाले सवालो के “जवाब” भी खुद बना देता है ।

आशिकों ने ही

आशिकों ने ही दिया है तुझको ये मुकाम गज़ब का,
वरना ऐ इश्क तेरी दो कौड़ी की औकात नहीं…!