अहद-ए-वफा निभा कर भी हम हो गये रुसवा..
वो जालिम अपनी जफाओं पर पशेमां तक ना हुआ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अहद-ए-वफा निभा कर भी हम हो गये रुसवा..
वो जालिम अपनी जफाओं पर पशेमां तक ना हुआ..
यूँ दवा लेने से तेरी हिचकियां नहीं थमने वाली
इलाज चाहिए तो मेरी मौत की दुआ किया कर..
नया पाने की चाहत में पुराना छूट जाता है
तुझे अपनाऊ तो मुझसे जमाना रूठ जाता है
मुहब्बत लिखने पढ़ने में बहुत आसान दिखती है
मुहब्बत को निभाने में पसीना छूट जाता है|
पहला खत जुल्फ खोल कर पढ़ना दूसरा दिल
टटोल कर पढ़ना तीसरे खत में टूटे
सपने है अपने आंसू में घोल कर पढ़ना|
ख्वाबों का रंगीन होना गुनाह है..
इंसान का जहीन होना गुनाह है..
कायरता समझते हैं लोग मधुरता को..
जुबान का शालीन होना गुनाह है..
खुद की ही लग जाती है नजर..
हसरतों का हसीन होना गुनाह है..
दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैंकड़ों से..
इंसान का बेहतरीन होना गुनाह है………
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने;
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का;
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने……
किताब खोलकर उसने कहा “अच्छा अब लिखो..जिंदगी”
“तुम”
लिख कर मैंने निब तोड़ दी…
कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ!
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद !!
ये उदासियां ही इश्क की पहचान हैं…,
गर मुस्करा दिये..
तो इश्क बुरा मान जायेगा !!
कर लो इज़ाफ़ा तुम अपने गुनाहों में,
मांग लो एक बार हमको दुआओं में …