किस जगह रख दूँ मैं तेरी याद के चराग़ को
कि रोशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले।
Category: गुस्ताखियां शायरी
बद्दुआये नहीं देता
बद्दुआये नहीं देता फकत इतना ही कहता हूँ..
के जिस पर आ जाएँ दिल तेरा वो बेवफ़ा निकले..
मुकम्मल हो ही नहीं
मुकम्मल हो ही नहीं पाती कभी तालीमे मोहब्बत…
यहाँ उस्ताद भी ताउम्र एक शागिर्द रहता है…!!
ऐसा तो कभी हुआ नहीं
ऐसा तो कभी हुआ नहीं,
गले भी मिले, और छुआ नहीं!
इतना शौक मत रखो
इतना शौक मत रखो इन इश्क की गलियों में जाने का,
क़सम से रास्ता जाने का है पर आने का नहीं।
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी मुझे…
कदमों की क्या बिसात, साँसें ही थम गयी…!!!
मीठी यादों के साथ
मीठी यादों के साथ गिर रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…
दिल के जख्म
दिल के जख्म को चेहरे से…. जाहिर न होने दिया,
यही जिन्दगी में…… मेरे जीने का अंदाज बन गया..
तू इतना प्यार कर
तू इतना प्यार कर जितना तू सह सके,
बिछड़ना भी पड़े तो ज़िंदा रह सके !!
एक बच्चा खुश हुआ
एक बच्चा खुश हुआ खरीद कर गुब्बारा,
दुसरा बच्चा खुश हुआ बेच कर गुब्बारा।