लाजमी नही है

लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले “” किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है ||

एक तज़ुर्बा है

हर एक लकीर एक तज़ुर्बा है जनाब .. .. झुर्रियाँ चेहरों पर यूँ ही आया नहीं करती !!

ये मशवरा है

ये मशवरा है की पत्थर बना के रख दिल को। ये आइना ही रहा तो जरूर टूटेगा।।

कब वो ज़ाहिर होगा

कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझे जितनी भी मुश्किल में हूँ आसान कर देगा मुझे|

मिटटी महबूबा सी

मिटटी महबूबा सी नजर आती है गले लगाता हूँ तो महक जाती है ।।

मैं कड़ी धूप में

मैं कड़ी धूप में चलता हूँ इस यकींन के साथ मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाले होंगे !

भूल गए है

भूल गए है कुछ लोग , हमे इस तरह…. यकीन मानो, यकीन ही नही आता…।।

भुला सकता हूँ

भुला सकता हूँ तुझें, भुला दूँगा तुझे और इससे ज्यादा, मैं क्या झूठ बोलूँ तुझे|

बहुत आसान है

बहुत आसान है पहचान इसकी…., अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।

यूं तो मेरा भी

यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|

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