पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती,,,,
मर जाएँ मेंरे ख़्वाब न ताबीर के डर से….!!.
Category: गुस्ताखियां शायरी
सितमगर जब कोई
सितमगर जब कोई ताज़ा सितम ईजाद करते हैं,
तो बहर-ए-इम्तिहाँ पहले हमीं को याद करते हैं….!!
तेरे होने पर
तेरे होने पर भी ये जो अकेलापन मारता है…
पता नहीं, ये मेरी मुहब्बत की हार है या तेरी बेरुख़ी की जीत|
अपने ही साए में
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ,
जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं,
मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…
मोहब्बत के रास्ते
मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्युँ न हो…
खत्म तन्हाई के खंडहरों में ही होते है…!!
रात भर गहरी नींद
रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं…
उसके लिए दिन भर “ईमानदारी” से जीना पड़ता हैं….!!!
टूटे हुए ख्वाबों की
टूटे हुए ख्वाबों की चुभन कम नहीं होती,,,,,,,
अब रो कर भी आँखों की जलन कम नहीं होती….!!
मैं अगर नशे में
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
बस मुस्करा दो
बस मुस्करा दो, तबियत ख़ुश हो जाती है मेरी;
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम तुम सा नहीं|