यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती!
न हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थी
हमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना|
मेरे लफ़्ज़ों को अब भी नशा है तुम्हारा …
निकल कर ज़हन से, कागज़ों पर गिर पड़ते हैं …
नशा मैं रहता हूँ मैं हर वक़्त वजह शराब नही तेरी यादें हैं|
तु ही जीने की वज़ह है
तु ही मरने का सबब है
तु अजब है ,
तु गज़ब है ,
तु ही तब था
तु ही अब है……..
जरा सा कतरा कहीं आज अगर उभरता है ‘
तो समन्दरों के ही लहजे में बात करता है !!
सराफ़तों को यहाँ अहमियत नहीं मिलती !!
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है!!!!
ना चाहते हुये भी साथ छोड़ना पड़ता है… जनाब,मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है..!!
देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब,
सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..!!
जख़्म खुद ही बता देंगे तीर
किसने मारा है ……
ये हमने कब कहा कि ये काम
तुम्हारा है …