महफ़िल में हँसना

महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया, तन्हाई में रोना एक राज बन गया, दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया, बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया।

करनी है तो

करनी है तो दर्द की साझेदारी कर ले, मेरी खुशियों के तो दावेदार बहुत हैँ..

जिसको जो कहना

जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है, ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..

बड़े निककमें है

बड़े निककमें है ये इश्क़ वाले कबूतर दाल की जात का सवाल नहीं करते |

इतनी वफ़ादारी न कर

इतनी वफ़ादारी न कर किसी से यूँ मदहोश होकर….. ये दुनियाँ वाले….. एक ख़ता के बदले ….सारी वफाएँ भुला देते है…..

खुद बैठा बैठा

खुद बैठा बैठा मैं यूँ ही गुम हो जाता हूँ! मैं अक्सर मैं नही रहता तुम हो जाता हूँ!!

ठहर सी गई है

ठहर सी गई है एक चुप्पी सी मुझ में , ढूढ़ रहा हूँ आजकल खुद को खुद में … !!

अपने हर लफ्ज में

अपने हर लफ्ज में कहर रखते है हम रहे खामोश फिर भी असर रखते है हम ।

मंजिल तो तेरी

मंजिल तो तेरी यही थी बस , जिंदगी गुजर गयी यहा आते क्या मिला तुझे इस दुनिया से अपनों ने ही जला दिया जाते |

शायद ना लिख पाऊ

मै चाहू .. तो भी शायद ना लिख पाऊ उन लफ्जो को … जिन्हें पढ़ कर … तुम जान जाओ मुझे कितनी महोब्बत है तुम से …. !!

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