ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में
ये डूबने वाले का ही होता हे कोई फन;
आँखों में किसी के भी समंदर नहीं होता!
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ !!
कुछ दिन तो तेरी यादें वापस ले ले..
‘पगली’
मैं कई दिनों से सोया नहीं….!!
सो जाओ यारो…
जब दिन मे याद नहीं आयी तो अब क्या याद आएगी..
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।
ऐ दिल मुझसे बहस ना कर अब चुप भी हो जा ….
उसके बिना इतने दिन गुजार दिए एक दिन और गुज़र जाने दे …!!
जब से पड़ा है तुझसे वास्ता,
नींद नहीं आती मुझे सितारों से पूँछ लो!
उन्होने वक्त समझकर गुजार दिया हमेँ…
हम उन्हें जिंदगी समझकर आज भी जी रहे हैँ…
तुम करो कोशिशें मुझसे नफरत करने की
मेरी तो हर एक सांस से तेरे लिए दुआ ही निकलेगी…!!