वो कहते रहे झूठ,
मै करता
रहा यकीन।
इतना यकीन किया,
यकीन नही होता।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो कहते रहे झूठ,
मै करता
रहा यकीन।
इतना यकीन किया,
यकीन नही होता।
मैं जलता हूँ उन बातों से
भी,
वो बातें..
जो मैं खुद भी नही जानता।
हर रात उधेड़ देती हैं उन शामो को,
जो उन दिनों
मेरी सुबह लेके आई थी।
बुलंदियो को पाने की ख्वाहिश तो बहुत है मगर ,
दूसरों को रौंदने का हुनर कहां से लाऊं….
मेरी ख्वाइश थी कि मुझे तुम ही मिलते, मगर मेरी ख्वाइशों की इतनी औकात कहाँ…..
चुप्पियां जिस दिन खबर हो जायेगी,
कई हस्तियां दर – ब – दर हो जायेगी
जीभ में हड्डिया नहीं होती
फिर भी
जीभ हड्डियां तुड़वाने की
“ताक़त” रखती हैं..!!
तू अपने ग़रीब होने का दावा न कर, ऐ दोस्त,
हमने देखा है तुझे बाज़ार में “तुवर की दाल” खरीदते हुए…
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !
भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की
लेकिन खुशियाँ बेवकूफियों से ही मिलेगी…