अभी-अभी एक

अभी-अभी एक टूटा तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था,

चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !

पास आकर सभी

पास आकर सभी दूर चले जाते हैं;
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते हैं;
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे;
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं!

कहाँ मांग ली थी

कहाँ मांग ली थी कायनात मैंने,
जो इतना दर्द मिला,
ज़िन्दगी में पहली बार खुदा,
तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी।।