इनकार ही कर दे

तू इनकार ही कर दे मगर कुछ गुफ्तगुं तो कर .. तेरा खामोश सा रहना मुझे तकलीफ देता है…

खुद पर भरोसा

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो, सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं..

मिल जाए मुझे

मिल जाए मुझे सबकुछ” ये दुआ देकर चला गया.. और मुझे बस वो चाहिए था.. जो ये दुआ देकर चला गया…

अब इतना भी

अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा के तुम वक़्त गुज़ारो और हम प्यार समझें ।।।।।

जिन्होंने याद रखा

जिन्होंने याद रखा उनको सलाम जो भूल गए उनका शुक्रिया

उजालो के बावजूद

बड़ी ‘अजीब’ सी है शहरो की रोशनी… उजालो के बावजूद चेहरे ‘पहचानना’ मुश्किल है !!

इज़हार-ए-इश्क

इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,, बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..

ऊपर जिसका अंत

ऊपर जिसका अंत नही उसे आंसमा कहते हैं और इस जंहा मे जिसका अंत नही उसे मां कहते हैं

तमन्ना बस इतनी

छू ना सकूँ आसमान ना सही सबके दिलों को छू जाऊँ तमन्ना बस इतनी सी है

खुद पे नाज़ करना

खुद पे नाज़ करना तुम्हारा हक़ है.., क्योंकि….. . मैं तो नसीब वालों को ही याद करता हूँ।

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