राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी,
जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी,
जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..
उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी,
हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!
मुझे किसी ग़ज़ल सा लगता है ये नाम तुम्हारा
देखो तुम्हे याद करते करते मैं शायर बन गयी|
अर्थ लापता हैं या फिर शायद लफ्ज खो गए हैं…!
रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ इरशाद होते होते….!!
सजदा कहूँ या कहूँ इसे मोहब्बत
तेरे नाम में आये अक्षर भी
हम मुस्कुरा कर लिखा करते हैं
किसी रोज़ शाम के वक़्त…
सूरज के आराम के वक़्त…
मिल जाये साथ तेरा…
हाथ में लेके हाथ तेरा…
काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह,
ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…
मरकर भी तुझको देखते रहने के शौक में,
आखें भी हम किसी को अमानत में दे जायेंगे….
ले चल कही दूर मुझे तेरे सिवा जहां कोई ना हो,
बाँहों में सुला लेना मुझको फिर कोई सवेरा ना हो…!!!
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम,
कितना ख्वावों में तुझे और तलाशा जाए …..!!