जब हम लिखेंगे दास्तान-ए-जिदंगी तो,
सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब हम लिखेंगे दास्तान-ए-जिदंगी तो,
सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा…
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही,
ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं
दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए,
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए |
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से वो लोग,
जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते…..!!!!!
सितम पर सितम कर रहे है मुझ पर,
वो मुझे शायद
अपना समझने लगे हैं|
हमारे दिल में भी झांको अगर मिले फुरसत…
हम अपने चेहरे से इतने
नज़र नहीं आते|
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना…!
उसके होने भर से, होती है रोशनी…
माँ साथ है तो, हर रोज़ ईद
और दिवाली है|
ये है ज़िन्दगी, किसी के घर आज नई कार आई,
और किसी के घर मां की दवाई उधार आई..
न जाने किस हुनर को शायरी कहते होगेँ लोग…
हम तो वो लिख़ रहे हैँ जो कह ना सके उससे…