मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते|
गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का..
नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..
मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे..
हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..
बस इतनी सी बात
समंदर को खल गई
एक काग़ज़ की नाव मुझपे कैसे चल गई..
ना जाने कितनी बार अनचाहे किया है सौदा सच का,
कभी जरुरत हालात की थी और कभी तकाज़ा वक़्त का|
ज़रूरतों ने उनकी, कोई और ठिकाना ढूंढ लिया शायद,
एक अरसा हो गया, मुझे हिचकी नहीं आई|
चन्द खोटे सिक्के जो खुद कभी चले नही बाजार मे…
वो भी कमिया खोज रहे है आज मेरे किरदार मे…
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं…
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं|
एकबात याद रखना कभी किसी को छोटा मत समझना।