खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है…
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है…
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…
एहसासों की नमी होना जरुरी है हर रिश्ते में…..
रेत सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है…..
हाथ की लकीरें सिर्फ सजावट बयाँ करती है,
किस्मत अगर मालूम होती तो मेहनत कौन करता।
परिंदों ने नहीं जाँचीं कभी नस्लें दरख्तों की
दरख़्त उनकी नज़र में साल या शीशम नहीं होता
इन्तेजार तो अब किसी का भी नहीं है,
फिर जाने क्यूँ पलटकर देखने की आदत नहीं गई…
पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा,
वह आईने में खड़ा शख्स परेशान बहुत था !!
इसी ख़याल से पलकों पे रुक गए आँसू…
तेरी निगाह को शायद सुबूत-ए-ग़म न मिले..
हँसते रहो तो दुनिया साथ है,
आँसुओ को तो आँखों में भी जगह नहीं मिलती ।
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है..
किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..
गुमान न कर अपनी खुश नसीबी का..
खुदा ने गर चाहा तो तुझे भी इश्क़ होगा..