जिम्मेदारिया जब कंधो पर पडती है,
तो अक्सर बचपन याद आता है..
Category: हिंदी शायरी
ये खामोश मिजाजी
ये खामोश मिजाजी तुम्हे जीने नहीं देगी, इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो।
आंखें भीग सी गई
आंखें भीग सी गई है
लगता है आज फिर तू सोने नहीं देगी..
हम मोहब्बत में
हम मोहब्बत में दरख्तों की तरह हैं…
जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं…!!
स्कूल खत्म हुए तो
स्कूल खत्म हुए तो रस्ते अलग हुए
फिर उसके बाद कभी हम मिले नहीं..!
एक एक कतरे से
एक एक कतरे से आग सी निकलती है
हुस्न जब नहाता है भीगते महीनों में !!
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नर्म नर्म कलियों का रस निचोड़ लेती हैं
पत्थरों के दिल होंगे इन तितलियों के सीनों में।
थोड़ा बचा हूँ
थोड़ा बचा हूँ,
बाकि हिसाब हो चुका है..
बहुत कुछ है,
जो मुझमें राख़ हो चुका है..
वो जग़ह मुझे
वो जग़ह मुझे अब भी अज़ीज़ है..
जहाँ मुझे उजाड़ कर
बस गए हैं लोग कई..
सोते हुए भी
सोते हुए भी तेरा ज़िक्र करते हैँ……..!
मेरे होठ भी तेरी फिक्र करते हैँ……
आँख का आंसू
आँख का आंसू ना हमसे बच सका ,
…
घर के सामान की हिफाजत क्या करें….