मुझे शायर बनना है दोस्तो,
क्या एक बेवफा से
इश्क कर लूँ
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे शायर बनना है दोस्तो,
क्या एक बेवफा से
इश्क कर लूँ
नफरत को हम प्यार देते है …..
प्यार पे खुशियाँ वार देते है …
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना..
” ऐ दोस्त ” हम वादे पर जिदंगी गुजार देते है
आखिर
थक हार के, लौट आया मै बाज़ार से….!!
यादो को बंद करने के ताले
, कही मिले नही….!!!
आज
कि बात
कूछ रिश्तों के नाम नही होते.
कूछ रिश्ते नाम के होते है.
ख्वाहिश ये बेशक नही कि “तारीफ” हर कोई करे…!
मगर “कोशिश” ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे..
छोटी
सी लिस्ट है मेरी “ख़्वाहिशों” की
पहले भी तुम और आख़िरी भी
तुम
हाथ मेरे पत्थर के, पत्थर की हैं मेरी
उंगलियां,
दरवाज़ा तेरा काँच का, मुझसे खटखटाया न गया…
दोनों ही
बातों से तेरी
एतराज है मुझको..
क्यों तू जिंदगी में आई
और क्यों
चली गई..
खुद
अपने
वजूद का
ख्याल खो
बैठोगें, अपने
बारे में जीयादा
ना सोचना
दोस्तों……..!
आज ये
मौसम फिर से करवा रहा है मुझसे शायरी…..!!
वरना इस दिल के
जज़्बातों को दबे तो ज़माना हो गया…..!!