जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे।
भूकंप ने सबका दीदार करा दिया।
न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी |
न भजन दिखा न कीर्तन दिखा |
न हिन्दू दिखा न मुसलमान
दिखा…|
घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा…||
Category: व्यंग्य शायरी
देखते हैं अब क्या मुकाम
देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहेब,
सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से.
वो जो मुझसे गैर था नज़दीक
वो जो मुझसे गैर था नज़दीक आया सुबह मेरे
जब शाम उसे ले चली वो और करीब आ गया ।
आज गुमनाम हूँ तो फासला रखा है
आज गुमनाम हूँ तो फासला रखा है मुझसे
कल मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता मत निकाल लेना
गुफ्तगू करते रहा कीजिये
गुफ्तगू करते रहा कीजिये यही इंसानी फितरत है,
सुना है, बंद मकानों में अक्सर जाले लग जाते हैं…
बहुत कुछ खो चूका हूँ
बहुत कुछ खो चूका हूँ,
ऐ ज़िन्दगी तुझे सवारने की
कोशीश में,
अब बस ये जो कुछ लोग मेरे हैं,
इन्हें मेरा ही रहने दे….
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,
वरना कौन अपनी गली मे
जीना नहीं चाहता…..
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,
पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।
दुनिया का सबसे कठिन शब्द है
दुनिया का सबसे कठिन शब्द है,
” वाह..”
जब आप किसी के लिए ऐसा बोलते हैं,
तब ना सिर्फ आप अपने अहंकार को तोड़ते है,
बल्कि एक दिल भी जीत लेते है.
ऑफिस सरकारी हो या प्राइवेट
ऑफिस सरकारी हो या प्राइवेट..
चलता एक ही सिद्धांत पर है कि
आपका बॉस आपको नालायक समझता है
और आप उसे..!!
प्यारी शायरी की कर के शायरी चोरी
प्यारीशायरी की कर के शायरी चोरी….
सच सच बताओ किसने कितनी फसाई है छोरी…