मिज़ाज बदलते रहते हैं हर पल लोगों के यहाँ
ये मिज़ाजों का शहर है जरा सँभलकर चलना
Category: व्यंग्य शायरी
कभी तबियत पूछना
कभी तबियत पूछना हमसे भी गुजरने वाले..
हाल-ऐ-दिल बयां करने का शौक हम भी रखते हैं ….!
ताल्लुक हो तो
ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो …
दिल तो अकसर
एक दूसरे से भर जाया करते है
पहचानती तो है…
हमेँ देख कर उसने,मुह मोड लिया……
,,,,,
तसल्ली सी हो गयी,,कि चलो,पहचानती तो
है…..
रहना ज़िंदगी से
“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी,
जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..
डोर से बाँधा जाए
जरुरी तो नहीँ हर रिश्ते को नाम की डोर से बाँधा जाए,
बाँधे गए रिश्ते अक्सर टूट जाते हैँ..!!!
टूटे रिश्ते भी
जन्म-जन्मांतर के
टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं,
बस सामने वाले को
आपसे कोई काम पड़ना चाहिए..!!
छोटे से जख्म
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
विश्वास भी सिर्फ तुम
तुम क्या जानो
कहाँ हो तुम
मेरे दिल में
मेरी हर धड़कन में
हर निगाह
जो दूर तलाक जाती है
हर आशा
जो पूरा होना चाहती है
तुम क्या जानो
क्या हो तुम मेरे लिए
मेरी हर पल की आस
मेरा विश्वास
ज़िन्दगी की बैचेन घड़ियों में
जिन्दा रहने को
पुकारती हुई तुम
मेरे करीब….हर पल
तुम ही तुम हो
मेरे लिए ये विश्वास भी
सिर्फ तुम…
बड़ी तकात है
“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।