ग़रीब समझकर आज उसने उठा दिया हमें अपनी महफ़िल से ?
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कोई मेरी ख़ातिर पूछे उनसे, क्या चाँद की महफ़िल में सितारे
नहीं होते ??
Category: व्यंग्य शायरी
किसी गरीब को
किसी गरीब को मत सताना। वो तो बस रो देगा पर…
उपरवाले ने सुन लिया तो तू अपनी हस्ती खो देंगा..
कुछ दिन के लिए
कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर…
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जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………
दोस्तों से भरे
तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया
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दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया
Aye Jindagi Kash
KYA KHUB LIKHA HAI KISINE……..
”Aye Jindagi Kash Tu Hi Ruth Jati Mujhse…….
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Kyoki…….
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Ye Ruthe Hue Log Ab Mujhse Manaye Nahi
Jaate……….
मोहब्बत नहीँ करतेँ..
ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ…!!
आज मौसम ने भी
आज मौसम ने भी की बचकानी हरकत दो बून्द
कशिश के साथ बस एहसास दिलाकर
चला गया..
महसूस कुछ यूँ हुआ कि वो पास आकर
चला गया..!!
बहुत रोकना चाहा
बहुत रोकना चाहा पर रोक ना सका खुद को,
ये कमबक्त मोहब्बत भी गुनाहों जैसी है……….
वक़्त रहता नहीं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है.
लहरो को छुने तक
मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़भी ना दू … लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू !