मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है,
ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…
Category: शायरी
कुछ ऐसे लगाव
कुछ ऐसे लगाव और चाहते होती हैं हाथो में हाथ नही होते
और रूह से रूह बंधी होती है……
ज़रा ज़िद्दी हूँ
ज़रा ज़िद्दी हूँ ख़्वाब देखने से बाज़ नहीं आता,
इतनी सी बात पर हकीक़तें रूठ जाती है मुझसे…
पाकीज़ा दिलों की
पाकीज़ा दिलों की तो ,
कुछ बात ही अलग है ,
मिलता है जिससे भी ,
वजूद महक जाता है ॥
फासला भी ज़रूरी है
फासला भी ज़रूरी है चिराग रोशन करते वक्त
तजुर्बा यह हाथ आया हाथ जल जाने के बाद|
सोचता हूँ एक
सोचता हूँ एक शमशान बना लुँ
दिल के अंदर
मरती है रोज ख्वाईशें
एक एक करके….!!!!
अजब चिराग हूँ
अजब चिराग हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
थक गया हूँ हवा से कहो बुझाये मुझे|
कसम ले लो
कसम ले लो जो महफ़िल में तुम्हे दानिश्ता देखा हो
नजर आखिर नजर है बेइरादा उठ गयी होगी ……
चाहते थे जिन्हे
चाहते थे जिन्हे उनका दिल बदल गया
समन्दर तो वही गहरा हे पर साहिल बदल गया
कतल ऐसा हुआ किस्तो मे मेरा,
कभी बदला खंजर तो कभी कातिल बदल गया…
मेरी फ़ितरत में नही
उन परिंदो को क़ैद करना मेरी फ़ितरत में नही…
जो मेरे पिंजरे में रह कर दूसरो के साथ उधना पसंद करते है…!!!