मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
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Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
…………
गले से
उन को लगाया तो बुरा मान गये!
यूँ नाम ले के बुलाया तो बुरा मान गये!
ये हक़ उसी ने दिया
था कभी मुज को लेकिन;
जो आज प्यार जताया तो बुरा मान गये!
जो मुद्द्तों से मेरी नींद
चुरा बैठे है;
में उस के ख्वाब में आया तो बुरा मान गये!
जब कभी साथ में होते थे, गुनगुनाते
थे;
आज वो गीत सुनाया तो बुरा मान गये!
हंमेशा खुद ही निगाहों से वार करते थे;
जो तीर
हम ने चलाया तो बुरा मान गये!
जो सपने हमने बोये थे
नीम की ठंडी छाओ में,
.
कुछ पनघट पर छूट गए कुछ कागज की नाव में.
स्याही की भी मंज़िल का
अंदाज़ देखिये :
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है,
जब कोई बिखेरता है, तो
अलफ़ाज़…बनाती है…!!
साफ़ दिल से
मुलाक़ात की आदत डलों यारों
क्यूँ की घुल हटती है तो अाईने भी चमक उठते है
ज़िन्दगी के हाथ नहीं
होते..
लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र
याद रहता हैं
उमर बीत गई पर एक
जरा सी बात समझ में
नहीं आई…!!
हो जाए जिनसे मोहब्बत,वो लोग कदर
क्युँ नहीं करते…..!
गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सा इतमिनान तो रख… जब
खुशियाँ ही नही ठहरीं तो ग़म की क्या औक़ात है..
मेरे दिल की ख़ामोशी पर मत जाओ दोस्तों,
क्यूंकि राख के नीचे अक्सर आग दबी होती है!!
रोने की वजह न थी
हसनेका बहाना न था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का
जमाना था!