बुरा मान गये!

गले से

उन को लगाया तो बुरा मान गये!
यूँ नाम ले के बुलाया तो बुरा मान गये!

ये हक़ उसी ने दिया

था कभी मुज को लेकिन;
जो आज प्यार जताया तो बुरा मान गये!

जो मुद्द्तों से मेरी नींद

चुरा बैठे है;
में उस के ख्वाब में आया तो बुरा मान गये!

जब कभी साथ में होते थे, गुनगुनाते

थे;
आज वो गीत सुनाया तो बुरा मान गये!

हंमेशा खुद ही निगाहों से वार करते थे;
जो तीर

हम ने चलाया तो बुरा मान गये!

स्याही की भी

स्याही की भी मंज़िल का

अंदाज़ देखिये :
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है,
जब कोई बिखेरता है, तो

अलफ़ाज़…बनाती है…!!

उमर बीत गई

उमर बीत गई पर एक

जरा सी बात समझ में
नहीं आई…!!
हो जाए जिनसे मोहब्बत,वो लोग कदर
क्युँ नहीं करते…..!