अंदर के नशे से महकते हैं लोग
बाहर के नशे से बहकते हैं लोग …और जो किसी नशे में बहकता नहीं वह बुद्ध कहलाता है ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अंदर के नशे से महकते हैं लोग
बाहर के नशे से बहकते हैं लोग …और जो किसी नशे में बहकता नहीं वह बुद्ध कहलाता है ।।
तारीफे समझ नही आती है उन्हें ।
ऐ-खुदा, मेरे प्यार को भी मोहब्बत में थोडा हुन्नर दे ।।
कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा
अमीरों के लिए बेशक तमाशा हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा
उलझे हुए है आजकल अपनी उलझनों में… तुम ये ना समझना कि
तुम्हें चाहा था
बस दो दिन के लिए
कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो..
भीड़ साहस तो देती है, लेकिन पहचान छीन लेती है….
तुम मुझसे यारी का मोल ना पूछना कभी,
तुमसे ये किसने कह दिया की पेड़ अपनी छाँव बेचते है…
दुसरों की अपेक्षा अगर आपको सफलता,
यदि देर से मिले तो निराश नही होना चाहिये क्योँकि
मक़ान बनने से ज्यादा समय महल बनने मेँ लगता
है||
तू होगा ज़रा पागल सा
तूने मुझको है चुना…
खमोश लब हैं झुकी है पलकें,
दिलों में उल्फत नई नई है ,,
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में,
अभी मुहब्बत ये नई-नई है,,
अभी न आएगी नींद तुमको ,
अभी न हमको सुकूं मिलेगा ,,
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,
अभी ये चाहत नई नई है ,,
जो खानदानी रईस हैं वो ,
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है ,
तुम्हारी ये दौलत नई नई है ,
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा,
कि आ के बैठे हो पहली सफ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में ,
अभी ये शोहरत नयी नयी है ||
हमसे जो करोगे रुसवाई
तो यूँ ही भूकम्प आएगा रे बेवफा हरजाई…