मत कर इतना गुरुर खुद पर,
हमने चाहना छोड़
दिया,तो लोग पूछना भी छोड़ देंगे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मत कर इतना गुरुर खुद पर,
हमने चाहना छोड़
दिया,तो लोग पूछना भी छोड़ देंगे
बहुत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती…
क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे
मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी
बहुत जी
लिया उनके लिये जो मेरे
सबकुछ थे…!अब जीना है उनके
लिये
जिनके लिये मै सबकुछ हूं …!!
ख़ूबसूरत था
इस क़दर के मेह्सूस ना हुआ..
कैसे, कहा और कब मेरा बचपन चला गया
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
अच्छा नही इतना बड़ा हो जाना..!!
दिल में छुपा रखी है मोहब्बत काले
धन की तरह,
…
खोला नहीं करता हूँ, कहीं हंगामा ना हो जाये ।
हज़ारो ना-मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
ऐ दिल तेरी हिम्मत है, जो तू धड़कता है |
जरुरी नही हर बात पे तुम कहा मनो,
देहलीज़ पे रख दी है चाहत आगे तुम जानो
मेरी मोहब्बत तो मुकम्मल थी जो चार दिन मिला
प्यार तेरा
तेरे जिस्म की चाहत तो थी ही नहीं, तेरे अलगाव को कैसे मैं
बेवफाई कह दूं