वक़्त का फेर

वक़्त का फेर
वक़्त है ढल चुका
और ढल चुका वो दौर भी….
फ़िर भी आइने में, वक़्त पुराना ढूंढते हैं !!
महफिलें सजती थीं जहाँ
दोस्तों के कहकहों से….
दीवारों-दर पे, उनके निशान ढूंढते हैं !!
कुछ दर्द वक़्त ने
तो कुछ हैं अपनों ने दिए….
अकेले आज भी, दिल के टूकड़ों को जोड़ते हैं !!

लोग रूप देखते हैं

लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं;

लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं;

बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं;

हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।

प्यार कमजोर दिल से

प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!