महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है, तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है |
Category: शायरी
ज़िंदगी में आईना
ज़िंदगी में आईना जब भी उठाया करो.. “पहले देखो ” फिर “दिखाया करो ……..
घमण्ड से भी अक्सर
घमण्ड से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता..
याद आते हैं
याद आते हैं तो कुछ भी नहीं करने देते; अच्छे लोगों की यही बात बहुत बुरी लगती है ।
नाकाम रहो तुम
लगे हो ना तुम भूल जाने में मुझे ! एक मासूम सी दुआ है नाकाम रहो तुम…!
वक़्त की रफ़्तार
वक़्त की रफ़्तार रुक गई होती; शर्म से आँखे झुक गई होती; अगर दर्द जानती शमा परवाने का; तो जलने से पहले बुझ गई होती।
मुझे भी पता था
मुझे भी पता था की लोग बदल जाते है मगर, मैंने कभी तुम्हे उन लोगों में गिना ही नहीं था…
कुछ पल के लिए
इश्क़ कुछ पल के लिए खोने और पाने की कहानी नहीं होती है|
कितना मुश्किल होता है
कितना मुश्किल होता है ना ??? किसी के लिए जीना,,, फिर उसी के बगैर जीना….
आलम तो देखिए
कुछ रिश्ते अजीब होते हैं, आलम तो देखिए जोड़े भी नहीं जाते….तोड़े भी नहीं जाते…!!