पलट चलें के ग़लत आ गए हमीं शायद रईस लोगों से मिलने के वक़्त होते हैं|
Category: शायरी
तेरे ख़्याल ही तो हैं
बस तेरे ख़्याल ही तो हैं…..यार मेरे पास, वरना कौन कमबख्त सूनी राहों पर मुस्कुराता है…!!!
कोई ऐसा कमाल हो जाये
काश कोई ऐसा कमाल हो जाये, .कमबख्त इश्क़ का, इन्तक़ाल हो जाये|
बदनसीबों का कफन
इसे मुहब्बत का दर्दो-गम कहिए या बदनसीबों का कफन कहिए जो खो गया है वही बस है अपना जो बचा है उसे वहम कहिए जब दीवारों में कोई अपना दिखे उसे ही दुनिया में सनम कहिए चाहत में जो आपके लिखता है गजल ऐसे शायर को न बेरहम कहिए
अच्छा है तुम्हारा दिल
अच्छा है तुम्हारा दिल, खवाबो से मान जाता है.. कम्बक्त हमारा दिल है की रूबरू होने को तड़पता है….
ठोकरे खाकर भी
ठोकरे खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब..,,, राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते है…
हमने भी जी है
हमने भी जी है जिंदगी यारों, इश्क़ होने से इश्क़ खोने तक…!!
पिला दे आज खोल के
पिला दे आज खोल के सारे मयखाने की बोतलें.. अगर गम-ए-यार भूल गये, तो तेरा मयखाना ही खरीद लूँगा।
मेरी शायरियों से
मेरी शायरियों से मशहूर है तू इस क़दर मेरे शहर में..!! दीदार किसी ने किया नहीं मग़र तारीफें हर ज़ुबान पर है….!!
दिल से पूछो
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो…. पर तुम्हारे शायद हम नहीं ।