अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ…
.
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ…
.
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!
ना चाहते हुए भी तेरे बारे में बात हो गई,
.
कल आईने में तेरे दिवाने से मुलाक़ात हो गई..!!
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना….
बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना|
शक से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते..
कसूर हर बार गल्तियों का नही होता |
कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी…
जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे|
किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तेजार को ,
बेजुबां है इश्क़ , ढूँढता हैं खामोशी से तुझे
बस यूँ ही लिखता हूँ वजह क्या होगी ..
राहत ज़रा सी आदत ज़रा सी ..
तेरे नाम से ही जाना जाता हु मैं
न जाने ये शोहरत है या बदनामी।।
ये इश्क तो बस एक अफवाह है..
दुनिया में किसको किसकी परवाह है..
उठाइये
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था|